शीर्ष कोर्ट ने देशभर की अदालतों को जारी किए सख्त……..जाने क्या है पूरा मामला …….. धार्मिक स्थलों पर दावों के न नए मुकदमे सुनें और न ही आदेश दें पूजा स्थल कानून की वैधानिकता की सुनवाई के दौरान ।
करन पाण्डे 👉
नई दिल्ली ।
धार्मिक – स्थलों पर दावे को लेकर मुकदमेबाजी पर फिलहाल विराम लग गया है। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालतों को निर्देश दिया है कि जब तक शीर्ष अदालत में पूजा स्थल कानून का मामला लंबित है तब तक अदालतें धार्मिक स्थल पर दावे के नए मुकदमे पंजीकृत नहीं करेंगी और न ही लंबित मुकदमों में कोई प्रभावी अंतरिम या अंतिम (फाइनल) आदेश देंगी। सर्वे का भी आदेश नहीं दिया जाएगा।
ये अंतरिम आदेश गुरुवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) कानून 1991 से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जारी किए। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उसके समक्ष पूजा स्थल कानून की वैधानिकता और कानून को लागू कराने की मांगें लंबित हैं। यह महत्वपूर्ण मामला है और कोर्ट उस पर सुनवाई करेगा। लेकिन जब तक मामले में सुनवाई होती है तब तक के लिए उचित होगा कि अदालतें कोई प्रभावी आदेश पारित न करें। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला वर्ष 2020 से लंबित है।
पूजा स्थल कानून कहता है कि किसी भी धार्मिक स्थल की वही स्थिति रहेगी जो 15 अगस्त 1947 के समय थी। सुप्रीम कोर्ट में अश्वनी -उपाध्याय, सहित कुल छह याचिकाएं लंबित हैं। उपाध्याय ने पूजा स्थल कानून को चुनौती दी है। कई आधारों के साथ याचिका में यह भी कहा गया है कि इस कानून में कोर्ट की न्यायिक समीक्षा की शक्ति ले ली गई है, इसलिए कानून असंवैधानिक है। याचिका पर कोर्ट ने पहले ही केंद्र को नोटिस जारी किया था। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष से जमीयत उलेमा हिन्द ने याचिका दाखिल कर इस कानून को लागू करने की मांग की है। साथ ही अदालतों द्वारा सर्वे या कोई और आदेश जारी करने पर भी रोक लगाने की मांग की गई है। इनके अलावा कुछ हस्तक्षेप अर्जियां भी हैं।
गुरुवार को कोर्ट ने केंद्र को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा है कि केंद्र के जवाब के बाद याचिकाकर्ताओं के पास प्रतिउत्तर दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय होगा।