हल्दूचौड़ में चौथे दिन रामलीला में दशरथ बिलाप, राम को वनवास


हल्दूचौड़( नैनीताल )

श्री रामलीला कमेटी हल्दूचौड़ की ओर से हल्दूचौड़ में जारी रामलीला मंचन के चौथे दिन दशरथ- कैकेयी संवाद राम वनवास का भावपूर्ण मंचन किया गया। इस दौरान दशरथ- कैकेयी संवाद के दौरान कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन किया। मंचन में दशरथ की भूमिका लीला धर भट्ट , कैकेयी की भूमिका अमन बिष्ट , राम की भूमिका कृष्ण, भणडारी, लक्ष्मण की यश वनकोटी, सुमित्रा की भूमिका खिलेश सूठा, कौशल्या की भूमिका नवीन  रामलीला कमेटी के प्रधान अध्यक्ष रोहित बिष्ट,संजय पंवार, हनुमान एवं केवट की भूमिका जगदीश काण्डपाल, संरक्षक खीम सिंह बिष्ट, जिला पंचायत सदस्य कमलेश चंदोला, बी डी खोलिया, कमल जोशी (मुनि ) चंद्रा परगाई, संचालक सुरेश चन्द्र जोशी द्वारा किया गया, जगदीश पंत, .दशरथ-कैकेयी संवाद के दौरान दासी मंथरा रानी कैकेयी को समझाती है कि अगर राम को राज्य मिला तो भरत का क्या होगा। कैकेयी कोप भवन में चली जाती हैं। जिसके बाद राजा दशरथ वहां पहुंचते हैं और कैकेयी से कारण पूछते हैं तो रानी कैकेयी ने राजा दशरथ को दो वरदानों की याद दिलाते हुए राम को 14 वर्ष का वनवास और भरत के लिए राजपाठ मांगा। कैकेयी के वचनों को सुनकर राजा दशरथ व्यथित हो जाते हैं। वे कैकेयी को समझाते हैं, लेकिन कैकेयी समझने को तैयार नहीं होती हैं। आखिरकार रघुकुल की रीति का पालन करते हुए राजा दशरथ कैकेयी को वरदान दे देते। इसके बाद राम वनवास का मंचन किया गया। वहीं दूसरी ओर उसी समय कैकेयी की ओर से राम को वनवास और भरत को राज्य के वचन मांगने पर अयोध्या में शोक छा गया। भगवान राम ने अपने पिता का वचन निभाने को अपने सभी सुखों को त्याग कर दिया, वैसे ही विचार आज की पीढ़ी के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि भगवान राम के आदर्शों पर चलकर ही युवा पीढ़ी में अपने माता-पिता के प्रति सम्मान की भावना पैदा हो सकती है। इस अवसर पर निर्देशक गणेश फुलारा, मैकअप मेन गोपाल भटट, स्टोर कीपर कमल पाण्डे, उज्जवल काण्डपाल, देवेश गुणवंत, बंटी तिवारी, सुमित जोशी, राजेन्द्र सिंह अधिकारी, प्रवीन शमी, बिक्रम पोखरिया, कमल रौतेला, महेश जोशी , दीपक जोशी, कमल वमेठा, तवला वादक बी एन जोशी, हारमोनियम में हरीश चंद्र जोशी, रवि मेहता समेत तमाम लोग एव पात्र मौजूद थे।

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