हिंदी भाषा में विज्ञान को सरलता से सीखेगी नई पीढ़ी,हिंदी भाषा में विज्ञान को प्रचारित किया तो देश में हजारों वैज्ञानिक बनेंगे ….
मदन जलाल
भीमताल ।(नैनीताल) वैज्ञानिक अनुसंधान को जनमानस तक पहुंचाने के लिए एरीज ने अखिल भारतीय वैज्ञानिक और तकनीकी राजभाषा संगोष्ठी का आयोजन किया। इसमें देश के अलग अलग राज्यों से आए लोगों ने अपने पक्ष को रखा। वैज्ञानिकों ने कहा कि वैज्ञानिक शोध हिंदी में लोगों तक जाएंगे तो देश को हजारों नए वैज्ञानिक बनेंगे।
बुधवार को एरीज में अखिल भारतीय वैज्ञानिक और तकनीकी राजभाषा संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें एरीज नैनीताल के नोडल मंत्रालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी अरुण कंसल के नेतृत्व में दस लोगों की टीम शामिल रही।
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के उप निदेशक वैज्ञानिक डा छबिल कुमार मेहेर व प्रसिद्ध विज्ञान संचारक डा चंद्र मोहन नौटियाल ने हिंदी में विज्ञान को प्रचारित करने पर जोर दिया। कहा कि हिंदी में विज्ञान लेखन सबसे बड़ी चुनौती है। संगोष्ठी में देश के विभिन्न शहरों से आए वैज्ञानिकों को हिंदी में शोध पत्र प्रस्तुत करने के आमंत्रित किया गया है।
संगोष्ठी में आए वैज्ञानिकों ने अपना व्याख्यान हिंदी में रखा। कहा कि विज्ञान की तकनीकी जानकारियों को हिंदी में लोग आसानी से समझ पाएंगे। वहीं एरीज के निदेशक डॉ. मनीष नाजा ने बताया कि हिंदी में वैज्ञानिक शोध में हिंदी भाषा में चर्चा की जाएगी। हिंदी में वैज्ञानिक अनुसंधान आम लोगों के भी समझ में आसानी से आएंगे। अनुसंधान को लोगों के पास पहुंचाए बिना भारत को आत्मनिर्भर बनाने की परिकल्पना करना चुनौतीपूर्ण है। इस दौरान वैज्ञानिकों ने दूरबीन के माध्यम से सूरज की स्थिति का भी आंकलन किया। संगोष्ठी में भारत सरकार के विभिन्न प्रदेशों गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, कर्नाटक के 50 वैज्ञानिक, इंजीनियर, शोध पार्षद प्रतिभाग कर रहे हैं। इसमें संगोष्ठी के संयोजक वरिष्ठ इंजीनियर मोहित जोशी, डॉ. प्रवीण शर्मा, एरीज के रजिस्ट्रार रजनीश मिश्र, डा बृजेश कुमार, हंसा कार्की, अर्जुन सिंह मौजूद रहे।